खेती में फिटकरी भी एक प्रकार से सही तकनीकों मे आता है जो न केवल लागत को कम करता है बल्कि फसल उत्पादन को भी अच्छा और ज्यादा करता है। इसी संदर्भ में फिटकरी, जिसे पोटेशियम एलुमिनियम सल्फेट के नाम से भी जाना जाता है, इस के उपयोग के बारे मे जानेगे ।
फिटकरी एक ऐसा सस्ता और प्रभावी उपाय है जो फसलों की वृद्धि और गुणवत्ता को बेहतर बनाता है, आइए विस्तार से जानें कि फिटकरी को कैसे और क्यों उपयोग में लाया जाता है।
फिटकरी क्या है और यह कैसे काम करती है
फिटकरी एक प्राकृतिक यौगिक है जिसमें पोटेशियम, सल्फर और एलुमिनियम जैसे तत्व होते हैं, यह मिट्टी के पीएच (PH) को संतुलित करता है और पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ावा देता है। इसका उपयोग मिट्टी की संरचना सुधारने, कीटों से बचाव और फसलों को स्वस्थ रखने के लिए किया जाता है।
फिटकरी मे मुख्य तत्व
- पोटाश:– पौधों की जड़ों और तनों को मजबूत बनाता है।
- सल्फर:– फंगस और कीटों से सुरक्षा प्रदान करता है।
- एलुमिनियम:– मिट्टी का पीएच कम करके पोषण तत्वों का अवशोषण बढ़ाता है।
फिटकरी की उपयोगिता
खेती मे फिटकरी का बहुत उपोयोग हो रहा है, क्युकी यह बाजार में आसानी से ₹20 से ₹60 प्रति किलो की दर से उपलब्ध हो जाती है। ओर इसकी सरल उपयोग विधि और व्यापक लाभ इसे किसानों के बीच लोकप्रिय बनाते हैं।
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खेती में फिटकरी के फायदे
मिट्टी का पीएच बैलेंस करना
यदि मिट्टी का पीएच संतुलन बिगड़ जाए तो फसल के पोषक तत्वों का अवशोषण प्रभावित होता है। फिटकरी पीएच को संतुलित कर मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है, जिससे पौधों को पर्याप्त पोषण मिलता है।
कीट और रोग नियंत्रण
फिटकरी का उपयोग दीमक, चींटियों और वाइट फ्लाई जैसे कीटों को नियंत्रित करने में सहायक होता है। यह फंगस जनित बीमारियों, जैसे जड़ गलन, को रोकने में भी उपयोगी है।
फसल की वृद्धि में सुधार
फिटकरी फूल और फल की संख्या को बढ़ाने के साथ-साथ पौधों को हरा-भरा और स्वस्थ बनाती है। यह विशेष रूप से उन किसानों के लिए लाभदायक है जो जैविक तरीकों को प्राथमिकता देते हैं।
खेती में फिटकरी उपयोग से खर्च में कमी
फिटकरी के उपयोग से रासायनिक उर्वरकों जैसे यूरिया और डीएपी की मात्रा कम हो जाती है, जिससे लागत कम होती है।
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फिटकरी का सही उपयोग कैसे करें
मात्रा का निर्धारण
- मिट्टी का पीएच 7.5 से अधिक हो:– तो 2 किलो प्रति एकड़ के लगभग उपयोग कर सकते है।
- मिट्टी का पीएच 7 से 7.5 के बीच हो:– तो 1 से 1.5 किलो प्रति एकड़ के लगभग उपयोग कर सकते है।
- मिट्टी का पीएच 7 से कम हो:– तो फिर फिटकरी का उपयोग न करें।
उपयोग के तरीके
- ड्रिप इरिगेशन:– फिटकरी का पाउडर 200 लीटर पानी में घोलकर ड्रिप सिस्टम से खेतों में फैलाएं।
- फ्लड इरिगेशन:– फिटकरी को एक जालीनुमा बैग में डालें और इसे पानी के स्रोत पर रखें। यह धीरे-धीरे घुलकर खेत में फैल जाएगी।
यह सावधानियां रखना जरूरी
- स्प्रे न करें:– फिटकरी का एसिडिक नेचर पत्तियों को जला सकता है।
- मात्रा सीमित रखें:– 2 किलो प्रति एकड़ से अधिक मात्रा जड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है।
- बारिश के पानी के साथ उपयोग न करें:– बारिश का पानी पहले से एसिडिक हो सकता है।
- अम्लीय मिट्टी में उपयोग न करें:– यदि मिट्टी का पीएच 7 से कम हो तो फिटकरी न डालें।
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किन फसलों में फिटकरी का उपयोग करें?
सब्जी फसलें
मिर्च, टमाटर, लौकी, भिंडी, और खीरे जैसी फसलों में फिटकरी का उपयोग फायदेमंद होता है।
कंद फसलें
गाजर, मूली और आलू जैसी कंद फसलों में इसका उपयोग उत्पादन को बढ़ाने में सहायक है।
अनाज फसलें
धान, गन्ना और गेहूं जैसी फसलों के लिए फिटकरी का उपयोग पौधों की जड़ों को मजबूत बनाता है।
बागवानी फसलें
फूलों और फलों के पौधों में फिटकरी फसल की गुणवत्ता और सौंदर्य में सुधार करती है।
खेती में फिटकरी का उपयोग
खेती में फिटकरी का उपयोग एक सस्ता और प्रभावी उपाय है जो फसलों की पैदावार और गुणवत्ता में सुधार करता है। इसकी सही विधि और सावधानियों का पालन करके किसान न केवल लागत को कम कर सकते हैं, बल्कि फसलों को कीटों और रोगों से भी बचा सकते हैं।
खेती में फिटकरी के पर्यावरणीय लाभ
- मिट्टी की संरचना को स्थायी रूप से सुधारता है।
- जैविक खेती के लिए उपयुक्त।
- मृदा क्षरण को रोकता है और जल संचयन में मदद करता है।
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खेती में फिटकरी का उपयोग FAQs
मिट्टी के पीएच के अनुसार 1 से 2 किलो प्रति एकड़ तक उपयोग करें।
फिटकरी के एसिडिक प्रभाव से पत्तियां जल सकती हैं।
फिटकरी केवल तटस्थ या क्षारीय मिट्टी के लिए उपयोगी है। अम्लीय मिट्टी में इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।
बारिश के मौसम में फिटकरी का उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह मिट्टी को अधिक एसिडिक बना सकता है।
आप फिटकरी के साथ जैविक उर्वरकों का संयोजन कर सकते हैं, लेकिन रासायनिक उर्वरकों की मात्रा को कम करें।
हां, फिटकरी का उपयोग जैविक खेती में सुरक्षित और प्रभावी है।
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