पीली छोड़िए...अब नीली हल्दी की खेती करिए, किसानों को हो रहा बंपर मुनाफा

नीली हल्दी (ब्लू टर्मेरिक) की खेती ज्यादा लाभदायक हो सकती है,नीली हल्दी बाजार में पीली हल्दी की तुलना में ज्यादा मूल्य प्राप्त कर सकती है।

नीली हल्दी की कीमत बाजार की मांग पर निर्भर करती है और किलोग्राम तक पहुंच सकती है, नीली हल्दी पीली हल्दी की तुलना में कम जमीन में भी अधिक उपज दे सकती है।

नीली हल्दी की उपज एक एकड़ में 12 से 15 कुंटल के करीब होती है, नीली हल्दी की खेती के लिए भुरभुरी दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।

नीली हल्दी की खेती के लिए पानी की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए ढलान वाले खेतों में इसे उगाना सबसे अच्छा होता है, नीली हल्दी की उपज के लिए तापमान और वातावरणीय शर्तों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।

 नीली हल्दी की फसल का समय उगाने के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है, नीली हल्दी के लिए समय सीमा दिसंबर से मार्च तक बतायी जाती है।

नीली हल्दी के लिए सुर्खी वाली मिट्टी का उपयोग करना उत्तम होता है, नीली हल्दी की खेती में उच्च गुणवत्ता वाले बीज का उपयोग करना चाहिए।

नीली हल्दी की फसल को संक्रामक रोगों और कीटों से सुरक्षा की आवश्यकता होती है, नीली हल्दी की फसल के लिए नियमित तैयारी, उपचार और सही खादों का उपयोग करना चाहिए।

 नीली हल्दी के पौधों को नियमित रूप से पानी देना चाहिए, नीली हल्दी की फसल को समय पर तैयार करना चाहिए, क्योंकि विलयनीय तत्वों का असर समय पर होता है।

नीली हल्दी की फसल को सुनने के बाद उसे ध्यान से सुखाना चाहिए ताकि वानस्पतिक संश्लेषण की प्रक्रिया पूरी हो सके, नीली हल्दी की खेती में सही तकनीक और उपयुक्त उपकरणों का उपयोग करना चाहिए।

नीली हल्दी की फसल को उगाने के बाद उसकी निर्वाह और संग्रहण की व्यवस्था करनी चाहिए, नीली हल्दी की खेती में नवीनतम तकनीकों और वैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग करना चाहिए ताकि बेहतर उत्पादन और प्राकृतिक संरक्षण हो सके।

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