बरसात के मौसम में न केवल इंसानों को, बल्कि मवेशियों को भी कई तरह की बीमारियाँ पैदा करता है। इसलिए, पशुपालकों को बारिश में पशुओं की देखभाल की आवश्यकता होती है, अन्यथा पशुओं की मृत्यु भी हो सकती है।
बारिश में पशुओं की देखभाल
बारिश में पशुओं की देखभाल खास ध्यान वाला विषय है, यह मौसम सुहाना होने के साथ-साथ चुनौतीपूर्ण भी होता है। बारिश के कारण पशुओं को फिसलने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे उन्हें चोट लगने का खतरा भी होता है।
इसके अलावा, नमी भरी घास उन्हें पौष्टिक तत्वों से वंचित कर सकती है, और इससे उन्हें विभिन्न बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।
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पशुओं के लिए विशेष आहार
पशुपालकों को अपने पशुओं के लिए विशेष आहार और सुरक्षित रहने की जगह प्रदान करना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्हें स्वयं भी ध्यान रखना होगा कि पशु सुरक्षित रहें। इससे न केवल पशुओं की सेहत अच्छी रहेगी, बल्कि पशु पालकों को भी उनके आहार और उत्पादन में बेहतरी मिलेगी।
मानसून मे आने वाली पशुओं की बीमारियाँ
जून से सितंबर तक मानसून का आवागमन होता है, इस मौसम में पशुओं के बाड़े में पानी भर जाने के कारण कॉक्सीडियोसिस या कुकड़िया रोग, फुट रॉट जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
इसके अलावा, थनैला रोग का ध्यान भी रखना आवश्यक होता है, पशुपालकों को मौसम के पहले ही चरण में गाय-भैंसों को गल-घोंटू और लंगड़ी बुखार का टीका लगवाना चाहिए।
मवेशियों में कीटों की समस्या
मानसून में मवेशियों में कीटों की समस्या भी बढ़ सकती है, यदि पशुओं के रहने बाले स्थान पर बहुत सारे कीटाणुओं का विकास हो जाए, तो पशुओं में सर्रा, थीलेनेरिया, बाबेशियोसिस रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इसमें जानवरों को तेज बुखार के साथ-साथ खून की कमी भी हो सकती है।
पशुओं को सुरक्षित रखने उपाय
मानसून के दौरान मवेशियों के रहने के स्थान के साथ ही उनके आहार पर भी विशेष ध्यान रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है, बरसात के मौसम में उनके आवास में पानी का भरना रोकना चाहिए और संभव हो तो उनके बाड़े को सूखा रखने का प्रयास करें।
जल-जमाव से बचने के लिए, पशुओं के आवास की चारों ओर छत बनाने के लिए स्टील या लोहे की जस्ता चढ़ी नालीदार चादर का उपयोग करना उचित होता है। हफ्ते में एक-दो बार बाड़े में चूना छिड़काब और आसपास की जगह को साफ रखने से भी पशुओं को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।
पशु आहार का रखे ध्यान
बरसात के कारण घास गीली हो जाती है, जिससे उसमें पानी अधिक होता है। और पौष्टिक तत्वों की कमी हो जाती है। यह पशुओं के पाचन संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है। इसलिए, उन्हें हरी घास के साथ-साथ सूखा चारा भी प्रदान किया जाना चाहिए।
मौसम के दौरान, सूखे चारे में जल्दी फंगल निगरानी की जरूरत होती है, इसलिए इसे सही ढंग से संग्रहित करें। आहार के साथ-साथ पीने का पानी भी स्वच्छ होना चाहिए, क्योंकि इस मौसम में पशुओं को बीमार पड़ने की आशंका अधिक होती है।
पशुओं को बैक्टीरियल संक्रमण से बचाये
मानसून के मौसम में, नमी की वजह से बैक्टीरिया अत्याधिक प्रसारित होते हैं। इसलिए, पशुओं की रखरखाव के स्थान पर इस मौसम में कृमिनाशक दवा का नियमित उपयोग करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यह पशुओं को बैक्टीरियल संक्रमण से बचाने में सहायता करेगा। साथ ही, मौसम के समय डीवार्मिंग की आवश्यकता भी होती है, जिससे पशुओं की स्वस्थता की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
ईस्ट कोस्ट बुखार से पशुओं की देखभाल
ईस्ट कोस्ट बुखार संक्रमण एक अत्यंत जानलेवा बीमारी है, जो पशुओं को जीवन की खतरा में डाल सकती है। बरसात के मौसम में इस बीमारी से बचाव के लिए महत्वपूर्ण है, कि पशुओं के आसपास मक्खियाँ न हों, क्योंकि यह बुखार मक्खी के एक विशेष प्रजाति से होता है।
बरसात के मौसम में आमतौर पर दूध देने वाले पशुओं का दूध उत्पादन कम हो जाता है, लेकिन पशुपालकों को ध्यान देना चाहिए कि वे स्वच्छता से लेकर खान-पान का विशेष ध्यान रखें, ताकि पशुओं को कोई हानि नहीं पहुंचे।
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