सरसों फसल की खेती भारत में खाद्य तेल उत्पादन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है लेकिन फसल पर कीटों का हमला किसानों के लिए हमेशा चुनौती भरा राहत है। लाही (Aphid) और आरा मक्खी (Sawfly) जैसे प्रमुख कीट सरसों की फसल (Mustard Crop) को बहुत नुकसान पहुंचा सकते हैं।
इस लेख में, हम सरसों के प्रमुख कीटों की पहचान, उनके प्रभाव, और कृषि विभाग द्वारा सुझाए गए प्रबंधन के उपायों पर बात करेंगे। इससे किसान समय पर उचित कदम उठा सकें और अपनी फसल को नुकसान से बचा सकें इनकी वजह से फसल की उपज में भारी कमी आ सकती है।
सरसों फसल पर कीटों का प्रभाव
सरसों की फसल पर लाही और आरा मक्खी जैसे कई कीटों का सबसे ज्यादा प्रभाव होता है। लाही फसल के पत्तों और तनों से रस चूसकर पौधों को कमजोर कर देती है। इसके अलावा, आरा मक्खी की लार्वा पत्तियों को जला देती है जिससे पौधे की वृद्धि और उत्पादन बहुत असर पड़ता है।
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लाही (Aphid): सरसों फसल का प्रमुख कीट
लाही एक पीला-हरा या काले-भूरे रंग का कीट होता है, जो सरसों की फसल (Mustard Crop) के लिए सबसे बड़ा खतरा बना रहता है यह पौधे के नाजुक हिस्सों जैसे मुलायम पत्तियों, टहनियों, तनों, पुष्पक्रमों और फलियों से रस चूसता है। इसके आक्रमण से पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं और पौधे कमजोर होने लग जाते हैं।
सरसों फसल मे लाही का प्रभाव
- पत्तियां सिकुड़कर गिर जाती हैं।
- पौधे का फूल सही से विकसित नहीं हो पाता, जिससे फलियां नहीं बनतीं।
- लाही मधु जैसा पदार्थ छोड़ती है, जिस पर काले फफूंद उगते हैं। इससे पौधे की प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बाधित होती है।
लाही प्रबंधन के सुझाव
- फसल की बुआई सही समय पर करें ताकि लाही का प्रकोप कम हो।
- खेत को साफ रखें और खर-पतवार को हटाते रहें।
- प्रति हेक्टेयर 10 पीले चिपचिपे फंदे लगाएं ताकि लाही को आकर्षित कर उन्हें फसल से दूर किया जा सके।
- 1500 पीपीएम एजाडिरेक्टिन का 5 मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
- प्रकोप अधिक होने पर ऑक्सीडेमेटान मिथाइल (1 मि.ली./लीटर) या इमिडाक्लोरपिड (1 मि.ली./3 लीटर) का छिड़काव करें।
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आरा मक्खी (Sawfly) दूसरा बड़ा कीट
आरा मक्खी छोटी ओर बड़ी दोनों अवस्था में फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है। इसका वयस्क कीट नारंगी-पीले रंग का होता है, और इसके सिर का रंग काला होता है। इसकी मादा के ओभीपोजिटर (अंडा देने वाला अंग) की आरी जैसी संरचना के कारण इसे आरा मक्खी कहा जाता है।
सरसों फसल मे आरा मक्खी का प्रभाव
- आरा मक्खी की लार्वा पत्तियों को कुतरकर खतम करती है।
- पत्तियों की सतह पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाती है।
- इससे पौधे की वृद्धि रुक जाती है और सरसों फसल कम पेदा होती है।
आरा मक्खी प्रबंधन के सुझाव
- फसल कटने के बाद खेत की गहरी जुताई करें ताकि मिट्टी में छिपे हुए प्यूपा नष्ट हो सकें।
- एजाडिरेक्टिन का 5 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
- फेनभेलरेट 0.5% धूल को 20-25 किग्रा/हेक्टेयर की दर से सुबह भुरकाव करें ऑक्सीडेमेटान मिथाइल का 1 मि.ली./लीटर की दर से छिड़काव करें।
सरसों फसल कीट प्रबंधन के अन्य उपाय
कीट नियंत्रण के लिए केवल कीटनाशकों पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। निम्नलिखित उपाय अपनाकर किसान अपनी फसल को अधिक सुरक्षित रख सकते हैं….
1. फसल चक्र अपनाएं
फसल चक्र अपनाने से कीटों के जीवन चक्र में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे उनका प्रकोप कम होता है।
2. समन्वित कीट प्रबंधन (IPM)
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, जैविक और रासायनिक प्रबंधन का समन्वय करके कीटों पर बेहतर नियंत्रण पाया जा सकता है।
3. मौसम का ध्यान रखें
कीटों का प्रकोप मुख्यत मौसम पर निर्भर करता है। नियमित रूप से मौसम का पूर्वानुमान देखकर फसल प्रबंधन करें।
4. पौध संरक्षण उत्पादों का चयन
विश्वसनीय और अनुशंसित उत्पादों का ही उपयोग करें। नकली या निम्न गुणवत्ता वाले कीटनाशक फसल को और नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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सरसों फसल के उत्पादन को बढ़ाने के सुझाव
सरसों की फसल (Mustard Crop)में कीट नियंत्रण के साथ-साथ उत्पादन बढ़ाने के लिए कुछ अतिरिक्त सुझावों को अपनाना फायदेमंद हो सकता है….
- मिट्टी की उर्वरता बनाए रखें।
- संतुलित उर्वरक का प्रयोग करें।
- समय पर सिंचाई करें।
- रोग प्रतिरोधी बीजों का चयन करें।
सरसों फसल से जुड़े FAQs
लाही पीले-हरे या काले-भूरे रंग का कीट होता है, जो पौधे के मुलायम हिस्सों से रस चूसता है और पत्तियों को सिकुड़ा देता है।
खेत की गहरी जुताई, नीम आधारित कीटनाशक का उपयोग, और फेनभेलरेट जैसे रासायनिक उपाय आरा मक्खी नियंत्रण में सहायक होते हैं।
नीम आधारित कीटनाशक जैविक रूप से सुरक्षित और प्रभावी होते हैं। ये कीटों को नियंत्रित करते हैं और फसल को नुकसान से बचाते हैं
जी हां, फसल चक्र, गहरी जुताई, और IPM जैसी तकनीकें कीटनाशकों के साथ उपयोगी होती हैं।
सरसों की बुआई अक्टूबर-नवंबर में करना आदर्श माना जाता है, क्योंकि इस समय कीटों का प्रकोप कम होता है।
कीट नियंत्रण उत्पादन बढ़ाने और फसल की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए जरूरी है।