खेती में रासायनिक खादों के बढ़ते उपयोग ने मिट्टी की उर्वरता को गंभीर रूप से प्रभावित किया है. इसका समाधान जैविक खेती में छिपा है, और जीवामृत इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है यह न केवल मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाता है बल्कि फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में भी सुधार करता है आइए जानते हैं जीवामृत बनाने की आसान विधि, इसके उपयोग और फायदे।
जीवामृत क्या है और क्यों जरूरी है
जीवामृत एक जैविक घोल है जिसमें लाखों-करोड़ों लाभकारी सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं. यह रसायनों से प्रभावित मिट्टी को पुनर्जीवित करता है और उसमें मौजूद हानिकारक जीवाणुओं को खतम करता है। इसका नियमित उपयोग मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है और फसलों को प्राकृतिक पोषण प्रदान करता है।
रासायनिक खादों और कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी में कार्बन और सूक्ष्मजीवों की संख्या घट गई यही कारण है कि हमें जीवामृत का उपयोग करना चाहिए ताकि मिट्टी को दोबारा उपजाऊ बनाया जा सके।
बनाने की सामग्री
इस घोल को तैयार करने के लिए आपको निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी…
- जंगल की मिट्टी:– बरगद या पीपल के नीचे की मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
- गुड़:– पुराना गुड़ लें, जिससे सूक्ष्मजीव जल्दी सक्रिय हो सकें।
- बेसन:– चने का आटा, जो सूक्ष्मजीवों के लिए भोजन का काम करता है।
- गाय का गोबर:– देसी गाय का गोबर अधिक लाभकारी होता है।
- गौमूत्र-: यह जीवाणुओं की संख्या बढ़ाने में सहायक होता है।
- पानी:- साफ पानी का उपयोग करें।
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जीवामृत बनाने की विधि
सबसे पहले, एक बड़ा ड्रम या बैरल लें, जिसमें 200 लीटर पानी भरा हो इस पानी में सभी सामान को एक के बाद एक मिलते जाए , मिश्रण को छायादार स्थान पर रखें और इसे ढक दें ढक्कन को पूरी तरह न लगाए ताकि हवा का प्रवाह बना रहे हर सुबह और शाम इस घोल को हिलाएं ताकि सामग्री अच्छी तरह मिक्स होती रहे।
- मिट्टी को ड्रम में डालें और अच्छे से मिक्स करें।
- पुराने गुड़ को पानी में घोलकर डालें।
- बेसन को थोड़े से पानी में घोलकर ड्रम में मिलाएं ताकि गुठलियां न बनें।
- गोबर और गौमूत्र को भी अच्छे से घोलें और मिक्स करें।
- पूरे घोल को मोटे डंडे की मदद से अच्छी तरह मिलाएं।
जीवामृत तैयार होने में कितना समय लगता है
जीवामृत लगभग 45-50 दिनों में पूरी तरह तैयार हो जाता है इसका रंग गहरा भूरा हो जाता है और इसमें हल्की खट्टी गंध आती है यह संकेत है कि अब घोल उपयोग के लिए तैयार है।
उपयोग कैसे करें
जीवामृत का उपयोग मुख्य रूप से मिट्टी में किया जाता है इसको सीधे पौधों पर स्प्रे करने की जरूरत नहीं है इसका प्रभाव मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ाने से होता है।
- खेत की तैयारी के समय:- इसे गोबर की खाद के साथ मिलाकर मिट्टी में डालें।
- सिंचाई के साथ:– 200 लीटर जीवामृत को एक एकड़ खेत के लिए उपयोग करें।
- ड्रिप इरिगेशन:– 50 लीटर जीवामृत को एक एकड़ में टपक सिंचाई के माध्यम से उपयोग करें।
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जीवामृत के फायदे
- मिट्टी की उर्वरता को पुनर्जीवित करता है।
- फसलों की जड़ों को पोषण देता है और उनकी वृद्धि को बढ़ावा देता है।
- मिट्टी में हानिकारक जीवाणुओं को कम करता है।
- उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में सुधार करता है।
- प्राकृतिक और सस्ता समाधान है, जो किसानों की लागत को कम करता है।
सावधानियां
जीवामृत तैयार करते समय इन बातों का ध्यान रखें…
- सामग्री की शुद्धता का ध्यान रखें।
- मिश्रण को छायादार स्थान पर रखें।
- हर दिन इसे अच्छे से हिलाना न भूलें।
जीवामृत जैविक खेती के लिए वरदान
यह न केवल फसलों को प्राकृतिक पोषण देता है बल्कि मिट्टी की उर्वरता को भी बनाए रखता है रासायनिक खादों पर निर्भरता को कम करके, किसान जैविक उत्पादों की ओर कदम बढ़ा सकते हैं सही तरीके से तैयार और उपयोग किया गया जीवामृत किसानों को कम लागत में अधिक लाभ दिला सकता है।
किसान भाइयों, इसे अपनी खेती में अपनाएं और पर्यावरण के साथ-साथ अपनी मिट्टी को भी सुरक्षित रखें जैविक खेती के इस सरल और प्रभावी उपाय को अपनाने से न केवल आपकी फसल की गुणवत्ता बढ़ेगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मिट्टी उपजाऊ बनी रहेगी।
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