ड्रिप सिंचाई प्रणाली क्या है Drip Irrigation सिस्टम से लाभ

किसान भाइयों आज की इस पोस्ट मे हम बताने जा रहे हैं, की ड्रिप सिंचाई प्रणाली क्या है, और इसका उपयोग कैसे किया जाता है, इसकी जानकारी आपको इस पोस्ट के माध्यम से हिन्दी (drip irrigation in hindi) मे प्राप्त होगी. आप द्वारा फसल की अच्छी पैदावार हो इसके लिए किसान भाई अपने खेतों में फसल उत्पादन के लिए खेतों में नई नई सिंचाई की तकनीकों का उपयोग करते हैं, यदि किसानों के खेत में फसल की सिंचाई अच्छे से होती है, तो किसानों को फसल की पैदावार अच्छे से मिलती है, तथा फसल भी स्वस्थ होती है.

ड्रिप प्रणाली क्या है (Drip Irrigation System)

टपक प्रणाली (ड्रिप प्रणाली) एक ऐसी विधि है, जिसमें फसल मे पानी की मात्रा धीमी गति से बूंद बूंद करके फसलों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है जिस से फसल को सही मात्रा मे पानी मिले, ड्रिप एक प्रकार का गोलाकार की पाइप होती है जिस मे बहुत सारे छोटे छोटे छेद बने होते है जिस की मदद से पानी पोधे की जड़ तक पहुचता है इस पद्धति की शुरुआत सबसे पहले इजराइल देश में की गई थी उसके बाद अब वर्तमान समय में दुनिया के कई देशों में इस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है.

Drip Irrigation Model क्या है

इस माडल की मदद से पानी को अपव्ययी तरीके से उपयोग में लाया जाता है, यह प्रणाली पानी को बूंद बूंद करके सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाती है और पौधे धीरे-धीरे पानी को सोखते हैं, इस प्रक्रिया में पानी अधिक मात्रा मे खराब नहीं होता यह प्रणाली शुष्क एवं अर्ध शुष्क क्षेत्रों के लिए अत्यंत उपयुक्त मानी जाती हैं. यदि आप भी ड्रिप / टपक सिंचाई प्रणाली (drip irrigation model) के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हम इस पोस्ट के माध्यम से आपको बताएंगे कि ड्रिप सिंचाई प्रणाली क्या है.

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फसलों मे उर्वरकों के लिए उपयोगी

ड्रिप प्रणाली के माध्यम से हम उर्वरकों को या फिर किसी भी प्रकार के घोल को सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाया सकते है जिस से की हमारा खाद या किसी भी प्रकार की जड़ों मे दी जाने बाली दबाई की बर्बादी ना हो, क्यूकी उपर से खाद डालने पर आधा खाद पोधे की जड़ों तक नहीं जा पाता ओर बह पानी के साथ बह कर खेत से बाहर हो जाता है जिस से खाद की बर्बादी होती है, इस के लिए ड्रिप प्रणाली को फसलों के लिए अच्छा माना जाता है और जिस क्षेत्र में जल की कमी हो उस क्षेत्र के लिए ड्रिप प्रणाली को बहुत ही उपयुक्त माना गया है.

भारत में टपक सिंचाई प्रणाली का प्रयोग

हमारे देश के कई राज्यों में टपक सिंचाई प्रणाली पिछले 15 से 20 सालों में काफी उपयोग (drip irrigation uses) में लाई जाने लगी है वर्तमान समय में देश के लगभग 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में टपक सिंचाई प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है जो कि 1960 में केवल 40 हेक्टेयर था, भारत के कुछ मुख्य राज्यों में ड्रिप प्रणाली का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है जिसमे से …

  • महाराष्ट्र मे लगभग 95 हजार हेक्टेयर मे उपयोग किया जाता है
  • कर्नाटक राज्य मे लगभग 65 से 70 हजार हेक्टेयर मे उपयोग होता है तथा
  • तमिलनाडु मे इस का उपयोग 55 हजार से 60 हजार हेक्टेयर मे होता है

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टपक सिंचाई के लाभ (Drip Irrigation Advantages)

  • ड्रिप सिंचाई विधि में पानी की दक्षता 95 प्रतिशत तक होती है तथा पारंपरिक सिंचाई पद्धति में पानी की दक्षता लगभग 50 प्रतिशत तक होती है.
  • ड्रिप सिंचाई के प्रयोग से पानी की खपत को कम किया जा सकता है और उर्वरक की बर्बादी को भी रोका जा सकता है.
  • Drip Irrigation से फसल की वृद्धि अच्छी होती है तथा फसल भी जल्दी से परिपक्व हो जाती है.
  • ड्रिप प्रणाली से सीमित जगह पर नमी होती है जिससे खरपतवार नियंत्रण सहायक होती है तथा खरपतवार कम उगते हैं.
  • ड्रिप प्रणाली जमीन मे अच्छी नमी प्रदान करती है जिससे फसल अच्छे से विकसित होती है.
  • इस विधि में कीटनाशकों और कवकनासको को घुलने की संभावना भी कम होती है.
  • इसमें सिंचाई के लिए लवण युक्त जल को भी उपयोग में लाया जा सकता है.
  • ड्रिप प्रणाली से की गई सिंचाई से फसल की पैदावार डबल तक बढ़ जाती है.
  • ड्रिप की सिंचाई से पारंपरिक सिंचाई की तुलना मे 70% तक जल की बचत की जा सकती है.
  • ड्रिप सिंचाई का सबसे अच्छा फायदा यह है, कि इसका इस्तेमाल कर लवणी रेतीली एवं पहाड़ी जमीन में भी सफलतापूर्वक खेती की जा सकती है.
  • मृदा संरक्षण के संभावना ना होने के कारण मृदा संरक्षण को भी बढ़ावा दिया जा सकता है.

ड्रिप सिंचाई प्रणाली के बारे में जानकारी (Drip Irrigation Explained)

टपक सिंचाई प्रणाली (drip irrigation kit) की एक पूरी किट होती है जिस मे एक मुख्य पाइप होता है उस मे से पतली पतली नली निकाली जाती है इस के बाद उस नली मे कट कर के छोटे छेद वाला जॉइन्ट लगाते है यह इतने उपकरणों से मिलकर बनी होती है, इस विधि में मोटर जल स्त्रोत से जल को लेकर पाइप प्रणाली में जल छोड़ने के लिए उचित दबाव बनाने का काम करती है, जिस से कपाट उपस्थित डिवाइस पाइप से पानी को निकलने के लिए उचित दाब निर्माण कर लेती है.

पाइप और फ़िल्टर

इस पाइप में एक छननी (फिल्टर) भी लगी होती है जिसका काम पानी की सफाई करना होता है, नियंत्रण प्रधान (fertilizer tank) में उवर्रक व पोषक भी मौजूद होता है जो नली को जाम ना करे इस लिए इस फ़िल्टर का उपयोग करते है, इस मे Fertilizer Stock Tank का काम सिंचाई के दौरान पर्याप्त मात्रा में उवर्रक को जल में छोड़ना होता है, अन्य सिंचाई विधियों की तुलना में यह एक विशेष लाभ वाली सिंचाई होती है.

Pipe Size

इस मे मुख्य पाइप और उस से जुड़ी छोटी नली (drip irrigation pipe) जो फर्टलाइज़र टेक की मदद से खेतो में जल की पूर्ति करते है यह नली एक तरह से पॉलीथीन की बनी होती है, इन को प्रत्यक्ष रूप से सौर ऊर्जा से खराब होने से बचाने के लिए जमीन में दबा दिया जाता है, इन नलीयों का व्यास 13 से 32 मीलीमीटर (13-32 MM) होता है इस मे निकास युक्ति (छेद वाले कनेकटर) का इस्तेमाल कर पौधों मे जल की पूर्ति को नियंत्रित किया जाता है.

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ड्रिप सिंचाई की फसलें

टपक सिंचाई विधि का इस्तेमाल मुख्य रूप से लाइन से लगने वाली फसलों मे फल एवं  सब्जी के वृक्ष एवं बेल वाली फसलों के लिए किया जाता है इसके एक से अधिक निकासों को प्रत्येक पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जाता है, इस विधि को मुख्य रूप से अधिक मूल्य वाली फसलों को उगाने के लिए किया जाता है क्योकि इसमें सिंचाई विधि संस्थापन की कीमत अधिक होती है, इस विधि को अधिकतर फार्म, व्यावसायिक हरित गृहों तथा आवासीय बगीचों आदि में प्रयोग में लाया जाता है यह लंबे टाइम तक चलने वाली फसलों के लिए काफी उपयुक्त मानी जाती है.

किन फसलों के लिए उपयुक्त ड्रिप विधि

टपक विधि का इस्तेमाल सेब, अंगूर, संतरा, नीम्बू, केला, अमरूद, शहतूत, खजूर, अनार, नारियल, बेर, आम आदि फसलों के लिए भी कर सकते है, तथा टमाटर, बैंगन, खीरा, लौकी, कद्दू, फूलगोभी, बन्दगोभी, भिण्डी, आलू, प्याज जैसी फसलों में भी ड्रिप विधि का इस्तेमाल कर सकते है, इसके अतिरिक्त कपास, गन्ना, मक्का, मूंगफली, गुलाब एवं रजनीगंधा जैसी फसलों को भी इस विधि द्वारा उगाया जा सकता है सिंचाई की इस तकनीक को न सिर्फ जल एवं मृदा संरक्षण बल्कि फसल की अच्छी पैदावार के लिए भी उपयोग करते है.

अन्य जानकारी पर ध्यान दे

आप सभी इस पोस्ट के माध्यम से जान हीं गए होंगे कि ड्रिप प्रणाली हमारे लिए कितनी आवश्यक है इसमें हम जल को सही से उपयोग में ला सकते हैं, तथा सिंचाई की पद्धति को नए प्रकार से प्रारंभ कर सकते हैं, इस ही प्रकार की ओर पोस्ट पढ़ने के लिए और सरकारी योजना व खेती किसानी से जुड़ी जानकारी प्राप्त करने एवं मंडी भाव के लिए जुड़े रहे हमारी वेबसाइट ebhav.com से .

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