अदरक पौधों को कंद के रूप में उगाया जाता है, अदरक की खेती मुख्य रूप से उष्ण कटिबंधीय इलाको में की जाती है, अदरक का इस्तेमाल ज़्यादातर खाने में मसाले के रूप मे किया जाता है, इसके अलावा भी अदरक का उपयोग कई रूप मे किया जाता है, जैसे इसे चाय बनाने, अचार बनाने तथा अनेक प्रकार के व्यंजनों में खुशबु लाने के लिए उपयोग में लाते है। अदरक को सुखाकर उसे सोंठ के रूप में भी कम में लाते है, इसके अलावा इसे अनेक प्रकार की बीमारी जैसे पथरी, खांसी, सर्दी-जुकाम, पीलिया और पेट के कई रोगो के लिए भी लाभकारी माना जाता है।
बुआई का समय -अदरक की खेती
खरीफ में – बुआई का समय 15 अप्रैल से 20 जून के बीच फसल अवधि – 200 से 220 दिन
तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई
- अदरक की फसल के लिए दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी उपयुक्त रहती हैं ।
- जिस खेत का चयन करें उसमें जल निकास की • उचित व्यवस्था हों ।
- फसल के लिए चयन की गई भूमि का पी.एच मान 6 से 6.5 के बीच का होना चाहिए ।
- फसल बुवाई के 15 दिन पहले मिट्टी पलटने वाले हल से 1 बार जुताई कर दें जिससे खेत में मौजूद खरपतवार और कीट नष्ट हो जाए ।
- इसके बाद प्रति एकड़ खेत में 10 से 12 टन सड़ी हुई गोबर की खाद और 2.5 किलो ट्राईकोडर्मा डालें।
- खाद डालने के बाद खेत की 1 बार जुताई करके पाटा लगाकर पलेवा कर दें ।
- पलेवा के 6 से 8 दिन बाद 1 बार गहरी जुताई कर दें ।
- इसके बाद खेत में कल्टीवेटर द्वारा 2 बार आडी तिरछी गहरी जुताई करके खेत पर पाटा लगा दें जिससे खेत समतल हो जाए ।
- अब खेत बुवाई के लिए तैयार हैं ।
अदरक की खेती मे बीज की मात्रा
अदरक की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए 7 से 8 क्विंटल ताजी गाँठो की जरूरत होती है ।
अदरक की उन्नत किस्में | Varieties of Ginger
IISR Varada
अवधि– 200 से 210 दिन
गुण – यह किस्म ताजा और सूखे अदरक की पैदावार के लिए अच्छी मानी जाती है । यह किस्म 200 दिनों में पकती है और इसकी औसतन पैदावार 9 टन प्रति एकड़ है ।
IISR Mahima
अवधि – 200 से 210 दिन
गुण – यह अधिक उपज वाली किस्म है , जो मोटे राइज़ोम देती है । यह किस्म 200 दिनों में पुटाई के लिए तैयार हो जाती है । इसकी औसतन पैदावार 9.3 टन प्रति एकड़ होती है
Suruchi
अवधि – 200 से 218 दिन
गुण – यह किस्म 218 दिनों में पुटाई के लिए तैयार हो जाती है । इसकी ओसतन पैदावार 4.8 टन प्रति एकड़ होती है
अदरक की खेती मे बीज उपचार
अदरक का बीज उपचारित करने के लिए 2 ग्राम कार्बोन्डाजिम को 1 लीटर पानी के हिसाब से गोल बनाकर कन्दों को 30 मिनट तक डुबो कर उपचारित करे । उपचार के बाद गाठों को 3-4 घंटे के लिए छांव में सुखाएं ।
बुआई का तरीका
फसल बुवाई के समय पौधे से पौधे की दूरी 30 सेमी और पक्ति से पंक्ति की दूरी 45 रोगी रखे । बीज को उ से 4 सेमी की गहराई पर बनाई करे ।
उर्वरक व खाद प्रबंधन
बुवाई के समय – अदरक की फसल बुवाई के समय 1 एकड़ खेत में 50 किलोग्राम डी ऐ पी . 50 किलोग्राम पोटाश 25 किलोग्राम यूरिया , 10 किलोग्राम जिंक सल्फेट , 8 किलोग्राम जायम का इस्तेमाल करे ।
बुवाई के 40 से 45 दिन बाद
अदरक की फसल बुवाई के 40 से 45 दिन बाद 1 एकड़ खेत में 40 किलोग्राम यूरिया खाद का इस्तेमाल करे ।
बुवाई के 90 से 95 दिन बाद
अदरक की फसल बुवाई के 90 से 95 दिन बाद 1 एकड़ खेत में 40 किलोग्राम यूरिया खाद का इस्तंगाल करे ।
अदरक की खेती मे सिंचाई
अदरक की फसल में गर्मियों में 8 दिन के अंतराल पर सिचाई करते रहे हैं । अदरक की पूरी फसल को कुल 16-18 सिंचाइयों की आवश्यकता होती है ।
फसल की कटाई
अदरक की बुवाई के 5 से 6 महीने बाद हरी अदरक की खुदाई कर सकते हैं । पूर्णतः फसल पकने में 7 से 8 महीने का समय लगता है । कंद को कंद को फाया की सहायता से खुदाई कर सकते है ।
अदरक की खेती मे लाग्ने वाली बीमारी
जीवाणु म्लानी ( Bacterial wilt )
पहचान : -अदरक की फसल में इस रोग के कारण पत्तियाँ पीली पड़ जाती है और धीरे धीरे पूरा पौधा भूरा होकर सूखने लग जाता है ।
बचाव –
- फसल चक्र अपनाएं ।
- खेत में जल – निकास की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ।
- रोग ग्रसित पौधों को निकाल कर नष्ट कर देना चाहिए ।
रासायनिक नियंत्रण :- इस रोग से बचाव के लिए 1 % बोर्डोमिश्रण या कापर ओक्सिक्लोराइड 50 % डब्ल्यूपी 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल का बेडों पर ट्रेंचिंग करना चाहिए ।
फाइलोस्टिटिका पर्ण चित्ती
पहचान : -अदरक की फसल में यह रोग जुलाई से अक्तूबर के बीच ज्यादा होता है । इस रोग की शुरुआत में फसल के पत्तों पर सूखे पानी के धब्बे के रूप में होती है जो बाद में सफेद धब्बे के रूप में हो जाता है । जिसके चारो और गहरे भूरे रंग के किनारे होते हैं ।
रासायनिक नियंत्रण : -इस रोग का नियंत्रण करने के लिए मैन्कोजेब 75 % डब्ल्यूपी 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल का छिड़काव करना चाहिए । या Chlorothalonil 75 % WP 400 ग्राम 1 एकड़ में 150 से 200 ली . पानी के हिसाब से स्प्रे करें ।
अदरक की खेती मे प्रमुख कीट
तना एवं जड़ छेदक ( Stem and root be pest )
पहचान – तना बेधक अदरक को हानि पहुंचाने वाला प्रमुख कीट हैं । यह कीट तना को काटकर ख़त्म कर देता है ।
बचाव – खेत को खरपतवार से मुक्त रखें ।
रासायनिक नियंत्रण – इमामेक्टिन बेंजोएट 5 % एसजी 80 ग्राम प्रति एकर 200 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें या क्लोरोन्ट्रेनिलीप्रोल 18.5 % एस . सी . 60 मिली प्रति एकर 200 लीटर पानी मे घोलकर छिडकाव करें ।
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