“सोयाबीन बीज की जांच किसानों के लिए महत्वपूर्ण सलाह “

खरीफ मौसम में सोयाबीन एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल है, और इसे देश के कई राज्यों में प्रमुखता से बोया जाता है। इसका बुआई कार्य देश के अनेक क्षेत्रों में जून माह में शुरू होता है। कृषि विभाग ने इस बात का ध्यान रखते हुए, किसानों को सोयाबीन बीज की जांच और सोयाबीन के बीज की तैयारी के लिए सलाह दी है। इससे सोयाबीन फसल की लागत कम हो सकती है, और उत्पादन में अधिक वृद्धि हो सकती है।

किसान उपलब्ध बीज को ही करे तैयार

आधिकारिक तत्वों के अनुसार, सोयाबीन एक स्वपरागित फसल है, और इसलिए हर वर्ष इसके बीज को बदलने की आवश्यकता नहीं होती है। एक बार जब इसके बीज को बदल दिया जाता है, तो उस बीज की उत्पादनता को आगामी 2-3 वर्षों तक बुआई के लिए उपयोग किया जा सकता है।

इससे फसल के उत्पादन पर कोई अवरोधक प्रभाव नहीं पड़ता है और उत्पादन में कमी नहीं होती है। इसलिए कृषकों से अनुरोध किया जाता है कि वे उपलब्ध बीज या दूसरे कृषकों से बीज खरीदें और उन्हें साफ करें और स्पायरल सीड ग्रेडर के माध्यम से ग्रेडिंग करें ताकि उन्हें तैयार बीज के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।

बीज की जांच

संयुक्त निदेशक कृषि विस्तार अतीश कुमार शर्मा, बारां ने बताया कि किसान….

  1. किसानों को साफ किए हुए सोयाबीन बीज के पहले अंकुरण की जांच करनी चाहिए।
  2. अंकुरण की जांच के लिए 100 दाने लें और उन्हें गीले किए हुए टाट बोर में रखें।
  3. प्रतिदिन टाट बोर पर पानी की छींटे डालकर बीजों को गीला रखें।
  4. 2-3 दिनों के बाद बीजों में अंकुरण हो जाएगा।
  5. यदि 100 दानों में से 70 दानों का स्वस्थ अंकुरण होता है, तो हर हेक्टेयर के लिए 80 किलो बीज बोएं।
  6. यदि अंकुरण 60 प्रतिशत तक होता है, तो बीज दर को उसी अनुपात में बढ़ा दें।
  7. अंकुरण 50 प्रतिशत से कम होने पर उस बीज की बुआई न करें।
  8. उपयुक्त बीज को उपचारित करके बुआई करें।

कृषि विभाग द्वारा बीजों के अंकुरण की जाँच सुविधा

  1. कृषि विभाग द्वारा किसानों को बीजों के अंकुरण की सुविधा प्रदान की जाती है।
  2. किसान अपने पास रखे हुए बीजों की अंकुरण जांच करवाने के लिए बीज परीक्षण प्रयोगशाला कारखाना बॉग कोटा का सहारा ले सकते हैं।
  3. इसके लिए, एक किलोग्राम बीज का नमूना एक थैली में पैक कर उस पर नाम और पता लिखकर एक सादा कागज पर आवेदन कर सकते हैं।
  4. नमूना जांच के लिए नमूना सीधे भेज सकते हैं या संबंधित सहायक कृषि अधिकारी के माध्यम से कार्यालय संयुक्त निदेशक कृषि जिला परिषद में जमा करा सकते हैं।
  5. संयुक्त निदेशक ने बताया कि अपने स्वयं के बीज का उपयोग करने वाले किसानों को महंगा बीज क्रय करने की आवश्यकता नहीं होगी और इससे उनकी लागत में कमी होगी।
  6. ऐसे किसानों के उत्पादन में भी कोई कमी नहीं आएगी।

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