अनानास की खेती कैसे होती है | Pineapple Farming

भारत दुनिया में अनानास की खेती मे पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक है, अनानास (Pineapple Farming) भारत की महत्वपूर्ण व्यावसायिक फल की फसलों में से एक है, विश्व में ब्राज़ील को अनानास का जन्मदाता कहा जाता है।

अनानस पूर्वोत्तर क्षेत्र, केरल, पश्चिम बंगाल, बिहार, गोवा, कर्नाटक और महाराष्ट्र बहुतायत से उगाया जाता है। इसके ताजे फल को कभी भी काटकर खाया जा सकता है, पाइनएप्पल एक औषधीय फल भी है, इसका कुल वार्षिक उत्पादन 14.6 मिलियन टन होने का अनुमान है।

पोषक तत्व से भरपूर

अनानास में कई तरह से पोषक तत्व और कैल्शियम की प्रचुर मात्रा पाई जाती है, जिससे अनानास का सेवन करने से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है। इसके नियमित रूप से सेवन करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।

भारत दुनिया के कुल अनानास उत्पादन का 8.2 % हिस्सा है। थाईलैंड , फिलीपींस, ब्राजील नाइजीरिया, मेक्सिको, इंडोनेशिया, कोलंबिया और संयुक्त राज्य अमेरिका अनानास के अन्य महत्वपूर्ण उत्पादक हैं।

अनानास-की-खेती

यह शरीर में पाए जाने वाले विषैले पदार्थो को भी बाहर निकालता है,अनानास की खेती फल के रूप में की जाती है, इसके फलो को सीधे तौर पर खाने के अलावा सलाद, जूस, जैम, केक और जेली आदि के रूप में भी करते है।

पाइनएप्पल के फलो में अम्लीय गुणों की मात्रा अधिक पाई जाती है। इसके फलो का तना काफी मोटा और गांठे अधिक मजबूत पाई जाती है, और तना पत्तियों से भरा होता है, इस तरह से यह पूरा एक गठीला फल है

यदि आप भी पाइनएप्पल की खेती करना चाहते है, तो इस पोस्ट में हम जानेंगे की अनानास की खेती कैसे होती है, (Pineapple Farming in Hindi), और भारतीय बाजार में अनानास की कीमत कितनी है, इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी आपको प्राप्तहोगी तो आगे पोस्ट को पूरा पढे-

अनानास बुआई का समय

खरीफ में – बुआई का समय 1 जून से 30 जुलाई के बीच

रबी में 1 – दिसंबर से 31 मार्च के बीच बुआई का समय

तापमान , मिट्टी की तैयारी व खेत की जुताई

अन्नानास की खेती करने के लिए बलुई दोमट मिट्टी जिसका पी.एच 5.0-6.0 हो सही मानी जाती है । खेत की हैरो से दो जुताई एवं कल्टीवेटर से दो जुताई जनवरी में एवं देशी हल से दो जुताई फरवरी के पहले सप्ताह में करे । जुताई के बाद पट्टा लगाकर खेत को समतल करके तैयार करे।

अनानास की खेती बीज की मात्रा

अनानास की 1 एकड़ फसल तैयार करने के लिए 8 से 10 हजार पौधे की जरुरत होती है।

अनानास की उन्नत किस्में – Varieties of Pineapple

  • Giant Kew – इस किस्म के सभी गुण Kew किस्म के समान होते हैं सिर्फ इसके फल का आकार Kew किस्म के फल से बड़ा होता है ।
  • Kew – यह व्यापारिक किस्म है और डिब्बों में पैक करने के लिए उत्तम है । इस किस्म के फल का आकार बड़ा 1.5-2.5 किलो और अंडाकार होता है । फल रसदार , हल्के पीले रंग का और लगभग फाइबर रहित होता है ।
  • Queen – इस किस्म के फल उच्च पीले रंग के होते हैं जिनका गद्दा सुनहरी पीले रंग का होता है, फल Kew किस्म से कम रसदार , कुरकुरे और स्वाद होते हैं । इनकी आंखे छोटी और गहरी होती हैं ।
  • मॉरीशस – इस किस्म के फल का रंग हल्का पीला एवं खुरदरा होता है। यह एक विदेशी किस्म है। इस किस्म के फल 12 से 14 महीने में पक कर तैयार हो जाते इस किस्म की पत्तियां नुकीली होती हैं। इस किस्म के फल का वजन 1.5 से 2.0 किलोग्राम के मध्य होता है।
  • रेड स्पेनिश – इस किस्म के फल मध्यम आकार के होते हैं, यह किस्म रोग प्रतिरोधी किस्म है, इस किस्म का गूदा खट्टा एवं रंग पीला होता है, इस किस्म की बाहरी परत कठोर एवं पीले रंग की होती है ।
  • जल धूप – इस किस्म के फल का रंग सुनहरा पीला होता है, इस किस्म के फल का वजन 800 से 1200 ग्राम तक होता हे, इस किस्म की खेती टेबल और प्रसंस्करण दोनों उद्देश्यों के लिए की जाती है। इस किस्म में मिठास और अम्लता की मात्रा संतुलित होती हे
  • SMOOTH CAYEN – इस किस्म के फल हल्के नारंगी एवं बेलनाकार होते है, इस किस्म के फल का बजन 1.8 से 4.5 किलोग्राम तक होता, इस किस्म के फल की पत्तियां नुकीली होती हैं। यह किस्म डिब्बा बंदी के लिए उत्तम मानी जाती है।
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बीज उपचार

पौध रोपाई करने से पहले पोधे की जड़ों को 30 मिनट तक 2 ग्राम कार्बेनहाज़िम को प्रति लीटर पानी के घोल में डुवा कर रखे।

अनानास बुआई का तरीका

पौध की रोपाई कतार में की जाती है । जिसमें पोधा से पोधा की दूरी 45 सेंटीमीटर एवं कतार से कतार की दूरी 90 सेंटीमीटर होती है । जिसमें 22 cm गहरा एवं 30 cm व्यास का गड़ा बनाया जाता है।

उर्वरक व खाद प्रबंधन

अनानास की फसल में रोपाई के समय 1 एकड़ खेत में 8 से 10 टन गोबर की खाद का इस्तेमाल करे । यूरिया 12 ग्राम और पोटास 3 ग्राम प्रति पोधा के हिसाब से डालें । आयरन , जिंक और कॉपर की कमी के लिए फेरस सल्फेट 3 प्रतिशत 30 ग्राम , जिंक सल्नेट के प्रतिशत 10 ग्राम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर पोधे पर स्प्रे करें । कॉपर सल्फेट 1.5-2.0 प्रतिशत , 30-50 मिली को प्रति पौधे के हिसाब से घोलकर छिड़काव करे ।

अनानास की खेती मे सिंचाई

अनानास की फसल को ज्यादा सिंचाई की जरूरत नहीं होती है इसकी जड़ें पूरी तरह से उथली हुई होती है । इस फसल को सूखा में हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है । फसल में नमी के अनुसार 20 से 25 दिन पर सिचाई करे ।

फसल की कटाई

अनानास की फसल में फूल रोपाई के 10-12 महीने बाद शुरू हो जाते है । इस फसल में फल तैयार होने में 15-18 महीने का समय लगता है । इसकी कटाई गई से अगस्त महीने में की जाती है। फल पकने पर पोथ पीली दिखने लग जाती है।


अनानास की खेती मे प्रमुख रोग

पत्तों और फलों का गलना

पहचान इस रोग के कारण पौधे की पत्तियां गलने लग जाती है । बचाव 1. रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें । 2. बीज को उपचारित कर बुवाई करें । 3. फसल चक्र अपनाये । रासायनिक नियंत्रण इस रोग से फसल का बचाव करने के लिए 2 ग्राम मैंकोजेब को 1 लीटर पानी के हिसाब से घोलकर स्प्रे करे ।

पत्तो पर धब्बे

पहचान फसल में इस रोग के कारण पत्तो पर सफ़ेद रंग के धब्बे बन जाते है । बचाव रोपाई के लिए सेहतमंद और बीमारी रहित जड़ों का प्रयोग करें । पानी के निकास का उचित प्रबंध करें और खेत में पानी ना खड़ा होने दें । रासायनिक नियंत्रण इस रोग से फसल का बचाव करने के लिए 1 एकड़ खेत में 300 ग्राम कार्बोनडाज़िम को 200 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करे ।

मिली बग

पहचान मिली बग पौधे के विभिन्न भागों में से रस चूसते हैं जिससे पौधा कमज़ोर हो जाता है । बचाव खेत को खरपतवार से मुक्त रखें । रासायनिक नियंत्रण इमिडाक्लोप्रीड 17.8 % एसएल 10 मिली 15 लीटर पानी मे घोलकर छिडकाव करें । जैविक नियंत्रण नीम का तेल मिली बग पर प्रभावशाली है । खड़ी फसल में कीट नियंत्रण हेतु एजाडिरेक्टिन ( नीम का तेल ) 0.15 प्रतिशत ई.सी. की 2.5 ली ० मात्रा प्रति हे ० की दर से 15 दिन के अन्तराल पर सायंकाल छिडकाव करना चाहिये।

मंडी भाव की जानकारी देखे


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