लहसुन की खेती में उत्पादन बढ़ाने के लिए अपनाएं ये आसान तकनीकें

लहसुन की खेती (Garlic Farming) सभी किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प है लेकिन इस की खेती में सफलता पाने के लिए सही तकनीकों का पता होना और तकनीकों का पालन करना जरूरी है. लहसुन की उपज बढ़ाने और कंद के आकार को सुधारने के लिए हर कदम पर विशेष ध्यान देना होता है यहां लहसुन की खेती मे उठाए जाने वाले सभी चरणों को बहुत अच्छे से समझाया गया है.

एक एकड़ में बीज की आवश्यकता

लहसुन की खेती में बीज की सही मात्रा का होना और बीज का चयन सबसे जरूरी होता है. एक एकड़ में लगभग 100 से 150 किलो लहसुन की कलियों की आवश्यकता होती है. क्योंकि इस मे कली खराब भी होती है और यह मात्रा बीज के आकार पर भी निर्भर करती है, जेसे की बड़ी कली, मध्यम और छोटी कलियों में अलग अलग होती है. अच्छी उपज के लिए देसी लहसुन, ऊटी लहसुन, या G2 जैसी प्रचलित किस्मों को अपनाना चाहिए क्युकी बीज का आकार और उस की गुणवत्ता सीधे कंद के आकार और फसल की उपज पर असर डालता है।

जमीन की तैयारी कैसे करें

Lahsun Farming (लहसुन की खेती) के लिए भुरभुरी और जहां जल की निकासी ठीक हो इस तरह की मिट्टी सबसे अच्छी होती है. खेत को अच्छी तरह से तैयार करना बहुत जरूरी होता है लहसुन की बेहतर वृद्धि और उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए खेत की गहरी जुताई करें और इसे समतल बनाना जरूरी है. खेत को छोटे-छोटे कयारी में विभाजित करना चाहिए जिसकी चौड़ाई लगभग 1.5 मीटर और लंबाई 10 मीटर होनी चाहिए।

यह ब्लॉकों का आकार पानी सभी जगह बराबर चलाने मे और सिंचाई की आसान तरीके से करने की व्यवस्था सुनिश्चित कर देता है. मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए ऑर्गेनिक खाद जैसे फार्म यार्ड मैन्योर (FYM) या वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करें इसके अलावा, माइकोराइजा का उपयोग मिट्टी में जीवंतता बढ़ाने और जड़ों के विकास को बढ़ावा देने के लिए कर सकते है।

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लहसुन की बुवाई का सही तरीका

लहसुन की बुवाई ज्यादा गहराई में नहीं करनी चाहिए बीज को 2 इंच से अधिक गहराई में बोने से कंद का विकास काम हो सकता है बुवाई करते समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 5 इंच और पौधे से पौधे की दूरी 4-5 इंच रखनी चाहिए. इससे पौधों को पर्याप्त जगह मिलती है बहुत अधिक भी रुपाई न करे। लहसुन की बुवाई का सही समय अक्टूबर के अंत से नवंबर के पहले 7 दिनो तक होता है इस समय बुवाई करने से फसल को अच्छा वातावरण मिलता है और कंद का विकास बेहतर होता है।

खाद और उर्वरक प्रबंधन

Garlic Farming (लहसुन की खेती) में सही मात्रा में खाद और उर्वरकों का उपयोग बेहद जरूरी होता है इसमे बेसल डोज में प्रति एकड़ 50 किलो डीएपी (1846), और 12 किलो सल्फर एवं 25 किलो पोटाश का उपयोग करें, सल्फर न केवल लहसुन की कंद और गुणवत्ता को बढ़ाता है बल्कि मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता भी सुधारता है बही पोटाश कंद के आकार और फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। खेत की ऊपरी परत में ही खाद डालें, क्योंकि लहसुन की जड़ें गहरी नहीं जातीं जुताई के दौरान खाद को मिट्टी में समान रूप से मिला लें।

वृद्धि और रोग प्रबंधन

लहसुन की फसल में पत्तों की हरियाली बनाए रखना और रोगों से बचाव करना फसल की वृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसके लिए जब फसल 25-30 दिनों की हो जाए तो 25 किलो यूरिया और 1.5 (देड़) से 2 किलो सल्फर प्रति एकड़ के हिसाब से डाल दें यह पत्तियों को हरा-भरा बनाए रखता है और फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। और थ्रिप्स एवं माहू लहसुन की फसल के लिए सबसे बड़े कीट शत्रु हैं इनसे बचाव के लिए प्रोफेनोफॉस का 10 मिलीलीटर प्रति 10 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर दे और फंगल रोगों के लिए कार्बेंडाजिम या मैनकोजेब जैसे फंगीसाइड का उपयोग कर ले।

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कंद विकास कैसे तेज करें

लहसुन की फसल मे 60 से 70 दिनों के बाद कंद का विकास तेजी से शुरू होता है इस अबस्था में पौधों को अधिक पोषण की आवश्यकता होती है तो इस समय के आस पास लगभग 25 किलो यूरिया, 25 से 50 किलो के बीच पोटाश और 10 से 20 किलो मैग्नीशियम सल्फेट प्रति एकड़ का उपयोग करें. पोटाश कंद के आकार को बढ़ाने और गुणवत्ता सुधारने में बहुत मदद करता है।इसके अलावा सिलिकॉन स्प्रे का उपयोग करें प्रति लीटर पानी में 1 से 1.5 मिलीलीटर (ML) सिलिकॉन मिलाकर छिड़काव करें यह पौधों को पानी की कमी और अन्य पर्यावरणीय स्ट्रेस से बचाता है।

लहसुन की खेती के लिए सुझाव

लहसुन की फसल के 65 से 70 दिनों के बाद कैल्शियम नाइट्रेट और एनपीके 1345 का स्प्रे करें इसे प्रति पंप (15 लीटर) में 50 ग्राम कैल्शियम नाइट्रेट और 50 ग्राम एनपीके मिलाकर छिड़काव करने से पत्ते मजबूत होते हैं और कंद का वजन बढ़ता है। इस समय फसल को हल्की सिंचाई दें और मिट्टी की सतह पर खरपतवार होने पर हाथ से निराई करें निराई-गुड़ाई से मिट्टी की ऊपरी परत हिलती है, जिससे पौधों की जड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचती है और फसल तेजी से बढ़ती है।

लहसुन की खेती में सफलता के लिए सुझाव

लहसुन की खेती (Lahsun Farming) को सफल बनाने के लिए बुवाई से लेकर कटाई तक हर चरण में सतर्कता बरतनी चाहिए सही बीज का चयन और उचित उर्वरकों का उपयोग एवं कीट व रोग प्रबंधन से न केवल उत्पादन में वृद्धि होती है, बल्कि फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। इस के अलावा कृषि विशेषज्ञों की सलाह का पालन करें और आधुनिक तकनीकों को अपनाकर अपनी फसल को लाभदायक बनाएं।

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